बिहार चुनाव 2025 में NDA का सीट बंटवारा तय: BJP और JDU को 101–101 सीटें मिलीं, एलजेपी (आरवी) को बड़ा फायदा
12 अक्टूबर 2025 को घोषित इस समझौते के तहत भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] दोनों को 101–101 सीटें दी गई हैं। कुल 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में यह समझौता संतुलित गठबंधन की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
यह फैसला तब आया है जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), विपक्षी महागठबंधन (RJD-Congress-Left) को कड़ी टक्कर देने की रणनीति बना रहा है। छोटे सहयोगियों — चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतनराम मांझी की हम (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) — को भी इस बंटवारे में महत्वपूर्ण जगह दी गई है।



बिहार में NDA सीट बंटवारा क्यों है अहम
बिहार की राजनीति में सीट शेयरिंग हमेशा से निर्णायक रही है। जातिगत समीकरण और गठबंधन की एकता ही चुनावी सफलता की कुंजी मानी जाती है।
BJP-JDU की यह नई बराबरी की हिस्सेदारी इस बात का संकेत है कि 2024 लोकसभा चुनावों के बाद भी नीतीश कुमार की भूमिका केंद्रीय सत्ता में अहम बनी हुई है।
पिछले कुछ हफ्तों से चली रही बैठकों में कई बार मतभेद उभरे थे। LJP (RV) ने जहां 40 सीटों की मांग की थी, वहीं HAM और RLM ने 7-8 सीटें चाही थीं। अंततः केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मध्यस्थता से यह सहमति बनी। उन्होंने बैठक के बाद कहा, “NDA एक परिवार है, और हमने सौहार्द्र के साथ हर मुद्दा सुलझा लिया है।”
NDA सीट बंटवारे का पूरा विवरण (Bihar Elections 2025)
पार्टी सीटें प्रमुख रणनीतिभारतीय जनता पार्टी (BJP) 101 शहरी और ऊपरी जाति बहुल सीटों पर फोकस
जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] 101 नीतीश कुमार को ‘बड़े भाई’ की भूमिका में स्थापित करता है
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP(RV)] 29 दलित वोट बैंक पर नजर, 2020 के मुकाबले बड़ा उछाल
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) [HAM(S)] 06 महादलित वोटरों में पकड़ मजबूत करने की रणनीतिराष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) 06 कुशवाहा समाज के वोटरों को जोड़ने की कोशिश
कुल 243 सभी सीटों पर गठबंधन की उपस्थिति
यह पहली बार है जब BJP और JDU को बराबर सीटें दी गई हैं —2020 में BJP ने 74 और JDU ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार का बराबरी वाला फॉर्मूला NDA के भीतर संतुलन और सम्मान का संकेत देता है।
राजनीतिक असर: NDA के लिए अवसर या चुनौती?
JDU के लिए यह समझौता मनोबल बढ़ाने वाला है। नीतीश कुमार, उम्र और स्वास्थ्य की चुनौतियों के बावजूद, खुद को अविभाज्य नेता के रूप में स्थापित करने में सफल हुए हैं।
BJP ने कुछ सीटें छोड़कर अपने विजयी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है।
चिराग पासवान की LJP (RV) को 29 सीटें मिलना NDA की रणनीतिक चाल मानी जा रही है — इससे दलित वोटों में विभाजन की संभावना बढ़ेगी, जो RJD के लिए चिंता का विषय है।
इसी बीच, RJD नेता तेजस्वी यादव ने इस समझौते को “हताशा में लिया गया फैसला” बताते हुए कहा, “NDA बिहार के गरीबों को बांटने में लगी है, रोजगार देने में नहीं।”
चुनौतियां और आगे का रास्ता
सूत्रों के मुताबिक, अभी 3 सीटों पर अंतिम फैसला बाकी है। उम्मीदवारों की घोषणा से पहले छोटे दलों के बीच फिर से मोलभाव शुरू हो सकता है।
6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले चुनाव में लगभग 8.5 लाख अधिकारी तैनात रहेंगे।
एनडीए के इस समान सीट बंटवारे से गठबंधन में एकता की झलक तो मिलती है, लेकिन सवाल यह है — क्या यह “बराबरी का फॉर्मूला” 2025 में NDA को फिर से सत्ता दिला पाएगा?
निष्कर्ष
NDA का सीट बंटवारा बिहार की सियासत को नया मोड़ दे चुका है। बराबर हिस्सेदारी, रणनीतिक संतुलन, और जातिगत गणित — ये तीनों मिलकर चुनावी समीकरण तय करेंगे।
अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर हैं, जब यह तय होगा कि क्या “डबल इंजन सरकार” अपना जादू दोहरा पाएगी या नहीं।

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