अग्नि-प्राइम मिसाइल का पहली बार रेल लॉन्चर से सफल परीक्षण: भारत की रणनीतिक क्षमता में नया आयाम
नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने गुरुवार को ओडिशा के तट से अग्नि-प्राइम मिसाइल का पहली बार रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से सफल परीक्षण किया। अग्नि-प्राइम का रेल लॉन्च: भारत की मिसाइल क्षमता में ऐतिहासिक कदम, भारत ने 25 सितंबर 2025 को अग्नि-प्राइम मिसाइल का पहला रेल-आधारित परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया, जो देश की रणनीतिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले गया। यह परीक्षण ओडिशा के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), बालासोर में किया गया, जहां मिसाइल ने अपनी 2,000 किलोमीटर की रेंज और तेज तैनाती क्षमता को सिद्ध किया। रक्षा मंत्री ने इसे 'क्रांतिकारी उपलब्धि' बताते हुए कहा, "यह सफल उड़ान परीक्षण भारत को कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम वाले चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा करता है।"



डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (SFC) ने संयुक्त रूप से इस परीक्षण को अंजाम दिया। मिसाइल को विशेष रूप से डिजाइन किए गए रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से दागा गया, जो भारत के विशाल रेल नेटवर्क के साथ एकीकृत है। यह तकनीक मिसाइल को देश के किसी भी कोने से तेजी से तैनात करने की सुविधा देती है, जिससे प्रतिक्रिया समय में भारी कमी आती है।
परीक्षण की प्रमुख विशेषताएं: गतिशीलता और गोपनीयता में वृद्धि
अग्नि-प्राइम मिसाइल, जो एक इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है, को कैनिस्टराइज्ड सिस्टम में संग्रहीत किया जाता है। यह डिजाइन मिसाइल को जलवायु-नियंत्रित ट्यूब में रखकर सुरक्षित परिवहन और लॉन्च सुनिश्चित करता है। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी उन्नत सुविधाओं का प्रदर्शन किया, जिसमें उन्नत गाइडेंस सिस्टम, बेहतर प्रोपल्शन और मैन्यूवरेबिलिटी शामिल हैं।
रेल लॉन्चर का उपयोग मिसाइल को 'ऑन-द-मूव' लॉन्च करने की क्षमता प्रदान करता है, जो दुश्मनों के लिए ट्रैकिंग को कठिन बनाता है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह सिस्टम भारत के रेल नेटवर्क का उपयोग करके क्रॉस-कंट्री मोबाइलिटी सुनिश्चित करता है, जिससे संघर्ष की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो जाती है। Rajnath Singh ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया, "ड्राडो, SFC और सशस्त्र बलों को बधाई। यह परीक्षण राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम की क्षमता को प्रमाणित करता है।"
परीक्षण में मिसाइल ने लक्ष्य को सटीकता से भेदा, जो इसकी न्यूक्लियर-कैपेबल क्षमता को मजबूत करता है। यह अग्नि सीरीज का नवीनतम संस्करण है, जो अग्नि-1 से अग्नि-5 तक की श्रृंखला को मजबूत बनाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मिसाइल प्रौद्योगिकी में स्वदेशी नवाचार का प्रतीक है।
वैश्विक संदर्भ: रूस-चीन के साथ भारत की बराबरी
इस सफल परीक्षण के साथ भारत अब रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जो कैनिस्टराइज्ड रेल-लॉन्च्ड मिसाइल सिस्टम की तकनीक रखते हैं। जहां रूस का टोपोल-एम और चीन का DF-41 इसी तरह की क्षमताएं प्रदान करते हैं, वहीं भारत का अग्नि-प्राइम सिस्टम क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता जोड़ता है।
अग्नि-प्राइम की 2,000 किमी रेंज पाकिस्तान को पूरी तरह कवर करती है और चीन के बड़े हिस्सों तक पहुंच सकती है, जो दक्षिण एशिया में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच महत्वपूर्ण है। पूर्व रक्षा अधिकारी पीएससी नरसिम्हा राव ने कहा, "यह परीक्षण न केवल मोबिलिटी बढ़ाता है, बल्कि सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को भी मजबूत करता है, जो शत्रुओं के लिए चुनौतीपूर्ण है।" परीक्षण का वीडियो रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया, जिसमें मिसाइल के लॉन्च की रोमांचक झलकियां दिखाई गईं।
मिसाइल की तकनीकी विस्तार: अग्नि सीरीज का उन्नत उत्तराधिकारी
अग्नि-प्राइम (जिसे अग्नि-पी भी कहा जाता है) एकल-चरण सॉलिड प्रोपेलेंट मिसाइल है, जो अग्नि-1 का उत्तराधिकारी है। इसका विकास 1999 के कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुआ था, जब 700 किमी+ रेंज वाली मिसाइल की आवश्यकता महसूस हुई। इसमें मैन्यूवरिंग वॉरहेड है, जो उड़ान के दौरान दिशा बदल सकता है, जिससे एंटी-मिसाइल सिस्टम से बचाव आसान हो जाता है।
परीक्षण से पहले, अग्नि-प्राइम को कई जमीन-आधारित लॉन्च से सफलतापूर्वक परीक्षित किया जा चुका था। रेल लॉन्चर का एकीकरण अब इसे रेल नेटवर्क पर बिना किसी पूर्व शर्त के तैनात करने योग्य बनाता है। DRDO के वैज्ञानिकों ने इसे कम दृश्यता और छोटे रिएक्शन टाइम के साथ डिजाइन किया है। यह सिस्टम न केवल मिसाइल की उत्तरजीविता बढ़ाता है, बल्कि लॉजिस्टिकल चुनौतियों को भी कम करता है।
भारत की रक्षा यात्रा: निरंतर नवाचार की कहानी
भारत की मिसाइल प्रोग्राम की शुरुआत 1970 के दशक में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) से हुई, जिसने पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी मिसाइलें दीं। अग्नि सीरीज ने बैलिस्टिक क्षमता को मजबूत किया, और अब अग्नि-प्राइम के साथ रेल-मोबाइल लॉन्च एक नया अध्याय जोड़ता है। यह परीक्षण दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भविष्य में, DRDO अग्नि-प्राइम को और उन्नत बनाने की योजना बना रहा है, जिसमें हाइपरसोनिक स्पीड और AI-आधारित गाइडेंस शामिल हो सकते हैं। यह विकास न केवल सैन्य क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक निर्यात के अवसर भी खोलेगा। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह परीक्षण क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक संकेत है, लेकिन पड़ोसी देशों के साथ संवाद की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
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क्या अग्नि-प्राइम का यह परीक्षण भारत की रक्षा क्षमता को नई दिशा देगा?

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