छठ की डिप्लोमेसी: भारत UNESCO में छठ पर्व को मान्यता दिलाने में जुटा



अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कड़ी
16 सितंबर 2025 को संस्कृति सचिव ने एक वर्चुअल बैठक आयोजित की, जिसमें मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड में स्थित भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों ने भाग लिया। इन देशों में बसे भारतीय मूल के समुदाय छठ पर्व को बड़े पैमाने पर मनाते हैं। बैठक में उनसे सांस्कृतिक डेटा, अनुभव और समर्थन जुटाने की अपील की गई ताकि नामांकन को बहुराष्ट्रीय स्वरूप दिया जा सके। इससे छठ का प्रस्ताव UNESCO के सामने और अधिक मजबूत रूप में रखा जाएगा।
समयसीमा और अपेक्षाएँ
यह नामांकन 2026-27 की सूची के लिए प्रस्तावित है। यदि सफल हुआ तो छठ पर्व को न केवल वैश्विक मान्यता मिलेगी बल्कि इससे धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, सांस्कृतिक संरक्षण और संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता और सहयोग प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
आस्था और सांस्कृतिक महत्व
छठ पर्व भारत की आस्था, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय महापर्व सूर्य देव और छठी मइया की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इसमें लोग नदियों और जलाशयों के किनारे व्रत, स्नान और अर्घ्य के जरिए सूर्योपासना करते हैं।
आज जब छठ पर्व दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों के बीच अपनी जड़ें मजबूत कर चुका है, तो UNESCO की मान्यता से यह परंपरा वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में और भी जगमगाने के लिए तैयार है।

इस समाचार को साझा करें:

