बिहार विधानसभा चुनाव 2025: दो चरणों में होगा मतदान, 14 नवंबर को आएंगे नतीजे, NDA-महागठबंधन में सीधी लड़ाई
चुनाव आयोग 11 नवंबर को ही 8 अन्य विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी कराएगा।
को भी आकार दे सकता है।



चुनावी आंकड़े और विवाद
बिहार में इस बार कुल 7.42 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 14,000 शताब्दी मतदाता (100 वर्ष से अधिक आयु के) और 14 लाख पहली बार के युवा मतदाता शामिल हैं। चुनाव आयोग ने इसे "सभी चुनावों की जननी" बताते हुए 8.5 लाख मतदान कर्मियों की तैनाती की है।
इसी साल की शुरुआत में एक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था, जब RJD नेता तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची से नाम हटाने का आरोप लगाया था, जिसे चुनाव आयोग ने "तथ्यात्मक रूप से गलत" बताकर खारिज कर दिया था।
मुख्य राजनीतिक समीकरण
अनुभवी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने RJD के साथ फिर से जाने की अटकलों को खारिज कर दिया है, और बार-बार पाला बदलने के अपने इतिहास के बावजूद BJP के साथ अपने गठबंधन की पुष्टि की है।
तेजस्वी यादव ने 2020 में मामूली अंतर से हारी हुई सीटों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकल्प लिया है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी "एक्स-फैक्टर" के रूप में उभर सकती है, जो संभावित रूप से पारंपरिक वोट बैंकों में सेंध लगा सकती है।
एक करीबी मुकाबले में चिराग पासवान की LJP(RV) की भूमिका "किंगमेकर" की हो सकती है।
अभियान में छाए प्रमुख मुद्दे
बेरोजगारी और पलायन: बिहार से युवाओं का लगातार पलायन चुनाव का शीर्ष मुद्दा बना हुआ है।
चुनावी अखंडता: SIR विवाद कानूनी चुनौतियों और विरोध प्रदर्शनों का कारण बना।
जाति और आरक्षण: NDA स्थिरता पर भरोसा कर रहा है; महागठबंधन सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
महिला और अर्थव्यवस्था: दोनों गठबंधनों ने नकद हस्तांतरण के वादे किए हैं, जिसमें NDA अपने 20 वर्षों के शासन को उजागर कर रहा है।
🧭 ओपिनियन पोल का अनुमान
विशेषज्ञ त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं, जिसमें LJP(RV) और HAM जैसे सहयोगी दलों के पास निर्णायक शक्ति होगी।
🏛️ इन सीटों पर रहेगी नजर
राघोपुर (तेजस्वी यादव) – विपक्ष का गढ़
पटना साहिब – भाजपा का गढ़
पूर्णिया – स्विंग सीट; उच्च प्रतिस्पर्धा की संभावना
करगहर – प्रशांत किशोर की अपेक्षित पहली सीट
🗣️ क्या है आगे?
उम्मीदवारों की सूची और चरण-वार निर्वाचन क्षेत्रों का विवरण जल्द ही चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाएगा। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह चुनाव अगले दशक के लिए बिहार के नेतृत्व को फिर से परिभाषित कर सकता है — और संभवतः भारत की 2029 की राष्ट्रीय राजनीतिक कहानी

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