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राज्य

बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: 24 सितंबर को पटना में जुटेंगे सोनिया-राहुल-खरगे, रणनीति पर मंथन

पटना, 22 सितंबर 2025 : बिहार विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस पार्टी ने राज्य में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए बड़ा दांव खेला है। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक 24 सितंबर को पटना में आयोजित होगी, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी के शीर्ष नेता शामिल होंगे। यह बैठक न केवल पार्टी की चुनावी रणनीति तय करेगी, बल्कि महागठबंधन में सीट बंटवारे और 'वोट चोरी' जैसे मुद्दों पर भी जोरदार हमला बोलेगी। 1990 के दशक में बिहार में अपनी मजबूत पकड़ खो चुकी कांग्रेस के लिए यह एक ऐतिहासिक शक्ति प्रदर्शन है, जो राज्य की राजनीति को नई दिशा दे सकता है।

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बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: 24 सितंबर को पटना में जुटेंगे सोनिया-राहुल-खरगे, रणनीति पर मंथन

बैठक का विवरण और महत्व

कांग्रेस वर्किंग कमिटी की यह बैठक सुबह 10 बजे पटना के गांधी मैदान या किसी प्रमुख सभागार में होगी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में होने वाली इस 'एक्सटेंडेड सीडब्ल्यूसी' में सोनिया गांधी (सीपीपी चेयरपर्सन), राहुल गांधी (लोकसभा में विपक्ष के नेता), प्रियंका गांधी वाड्रा, तेलंगाना और कर्नाटक के मुख्यमंत्री समेत पूर्व मुख्यमंत्रियों और एआईसीसी महासचिवों की मौजूदगी रहेगी।

यह बैठक बिहार विधानसभा चुनावों (अक्टूबर-नवंबर 2025) से ठीक पहले हो रही है, जब महागठबंधन (कांग्रेस-राजद-वामपंथी) में सीट बंटवारे पर खींचतान चरम पर है। कांग्रेस राज्य में 50-55 सीटों की मांग कर रही है, जबकि राजद जैसे सहयोगी इसे सीमित रखना चाहते हैं। बैठक में उम्मीदवार चयन, 38 संभावित नामों पर फैसला और चुनाव प्रचार की रूपरेखा तय होने की संभावना है।

मुख्य बिंदु: क्या चर्चा होगी?

इस बैठक के प्रमुख एजेंडे इस प्रकार हैं:

  • चुनावी रणनीति: बिहार में युवा पलायन, बेरोजगारी और विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) से जुड़े मतदाता सूची के मुद्दों पर फोकस। राहुल गांधी की हालिया 'वोटर अधिमान यात्रा' (अगस्त 2025) को आधार बनाकर 'वोट चोरी' के खिलाफ आंदोलन तेज करने की योजना।
  • महागठबंधन और सीट शेयरिंग: राजद के साथ तनावपूर्ण बातचीत के बीच समन्वय। 15 सितंबर को हुई समन्वय समिति की बैठक के बाद यह चर्चा निर्णायक साबित हो सकती है।
  • पार्टी संगठन मजबूती: बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) की हालिया चुनाव समिति गठन के बाद स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने का प्रयास। पूर्व सांसद पप्पू यादव जैसे स्वतंत्र नेताओं को पार्टी से जोड़ना।
  • मोदी सरकार पर हमला: भाजपा पर 'वोट चोरी' और चुनावी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाना।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्रतिक्रियाएं

बिहार में 2020 के चुनावों में कांग्रेस को महागठबंधन में महज 19 सीटें मिली थीं, जो पार्टी के लिए झटका था। अब, राहुल गांधी की अगस्त यात्रा और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं की पदयात्राओं ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा है। सोशल मीडिया पर भी यह बैठक चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां कार्यकर्ता इसे 'बिहार में कांग्रेस की वापसी' बता रहे हैं।

भाजपा ने इसे 'निराशा की बैठक' करार दिया है, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव ने समर्थन जताया है। स्वतंत्र विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक कांग्रेस को बिहार में दृश्यमानता देगी, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति जरूरी है।

भविष्य की संभावनाएं

यह बैठक कांग्रेस के लिए 'जीतो बिहार, जीतो देश' का मंत्र दोहराने का मौका है। यदि रणनीति सफल रही, तो महागठबंधन मजबूत हो सकता है। अमृत खबर इस बैठक के अपडेट और चुनावी समीकरणों पर नजर रखे हुए है।

(स्रोत: प्रमुख समाचार एजेंसियां, आधिकारिक बयान और सोशल मीडिया। यह लेख तथ्यों पर आधारित है और निष्पक्ष दृष्टिकोण रखता है।)

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