'बिहार अधिकार यात्रा' से तेजस्वी ने भरी हुंकार: NDA सरकार को ललकारा, भीड़ में दिखा बदलाव का जनसैलाब
पटना, 22 सितंबर 2025 : बिहार की राजनीति में उबाल ला देने वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की 'बिहार अधिकार यात्रा' ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 16 सितंबर को जहानाबाद से इस यात्रा की शुरुआत कर पांच दिनों में 11 ज़िलों का दौरा किया, जिसमें उन्होंने सीधे जनता से संवाद स्थापित किया और एनडीए सरकार पर तीखे वार किए।यात्रा का समापन 20 सितंबर को वैशाली में विशाल जनसभा के साथ हुआ, जहां तेजस्वी ने नारा दिया —"बहुत हुआ 20 साल, अब चाहिए बदलाव!"भीड़ की गूंज और नारों से साफ था कि यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि बदलाव की ललकार थी।



बिहार की सियासत में इस समय सबसे बड़ी हलचल का नाम है — 'बिहार अधिकार यात्रा'।
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 16 सितंबर को जहानाबाद से इस जनसंपर्क यात्रा की शुरुआत कर पांच दिनों में 11 जिलों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जगह-जगह जनसभाएं, रोड शो और संवाद के माध्यम से सीधे जनता से जुड़ने की कोशिश की और एनडीए सरकार को निशाने पर लिया।
इस यात्रा का समापन 20 सितंबर को वैशाली में एक विशाल जनसभा के साथ हुआ, जहां उत्साहित जनसमूह के सामने तेजस्वी ने स्पष्ट नारा दिया:
"बहुत हुआ 20 साल, अब चाहिए बदलाव!"तेजस्वी का यह उद्घोष केवल नारा नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक संदेश था, जो सत्ता की कुर्सी की ओर उनके गंभीर इरादों को दर्शाता है।
जनता से सीधा संवाद, सत्ता पर सीधा वार
'बिहार अधिकार यात्रा' सिर्फ एक राजनीतिक अभियान नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं, किसानों और आम नागरिकों के मुद्दों को केंद्र में रखकर चलाया गया संवाद था। बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर तेजस्वी ने सरकार को घेरा और वादा किया कि अगर आरजेडी सत्ता में आई, तो "बिहार को एक नया भविष्य मिलेगा"।
यात्रा का विस्तार
इस यात्रा में तेजस्वी यादव ने जिन 11 जिलों का दौरा किया, उनमें प्रमुख थे:
जहानाबाद, नालंदा, पटना, बख्तियारपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली।
प्रत्येक जिले में भारी भीड़, गर्मजोशी से स्वागत और जनता की भागीदारी ने इस यात्रा को केवल राजनीतिक प्रचार से कहीं अधिक बना दिया — यह एक जनता का मूड बताने वाला जनसंकल्प बनता गया।
बदलाव की आहट या चुनावी शोर?
'बिहार अधिकार यात्रा' के दौरान उमड़ी भीड़ और सोशल मीडिया पर जारी प्रतिक्रियाएं इस ओर इशारा कर रही हैं कि जनता बदलाव चाहती है।
तेजस्वी यादव ने जहां एक ओर विकास, रोजगार और न्यायपूर्ण शासन की बात की, वहीं दूसरी ओर एनडीए शासन को विफलताओं की सरकार बताया।
संभावनाएं और संदेश
यह यात्रा एक संदेश है — कि तेजस्वी यादव न केवल विपक्ष के नेता हैं, बल्कि मुख्यमंत्री पद के लिए गंभीर दावेदार के रूप में खुद को पेश कर रहे हैं।
अब सवाल ये है कि क्या यह यात्रा केवल भीड़ जुटाने तक सीमित रहेगी, या वोट में तब्दील होकर असल बदलाव की कहानी लिखेगी?
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