नीतीश सरकार का नया फैसला: नए वकीलों को हर महीने मिलेंगे 5 हजार रुपये, प्रैक्टिस में आर्थिक सहायता का वादा...



उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर इसकी आधिकारिक जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह योजना नए वकीलों के लिए वित्तीय सहायता का काम करेगी, ताकि वे शुरुआती कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने करियर में स्थिरता पा सकें। उन्होंने इसे एनडीए सरकार की युवा हितैषी नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।
योजना का विवरण और लाभार्थी
यह स्टाइपेंड योजना विशेष रूप से उन वकीलों के लिए है जो 1 जनवरी 2024 के बाद बिहार बार काउंसिल में पंजीकरण कराते हैं। योजना के तहत वकीलों को उनके शुरुआती तीन वर्षों तक 5,000 रुपये प्रति माह की राशि मिलेगी, जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
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पात्रता: 1 जनवरी 2024 से बाद में पंजीकरण कराने वाले सभी नए वकील, चाहे वे पुरुष हों या महिला।
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राशि और अवधि: प्रत्येक वकील को प्रतिमाह 5,000 रुपये का स्टाइपेंड, जो अधिकतम तीन वर्षों तक जारी रहेगा।
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उद्देश्य: इस योजना का प्रमुख उद्देश्य नए वकीलों को प्रारंभिक प्रैक्टिस में आर्थिक सहारा देना है, ताकि वे बिना किसी वित्तीय दबाव के अपने करियर को स्थापित कर सकें और न्यायालयों में बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकें।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा, "एनडीए सरकार ने नए वकीलों को तीन वर्षों तक हर महीने 5,000 रुपये स्टाइपेंड देने का फैसला किया है। यह कदम युवा वकीलों को सशक्त बनाने और उनके करियर में स्थिरता लाने के लिए उठाया गया है।"
योजना के प्रभाव
इस योजना के लागू होने से कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर असर पड़ेगा:
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आर्थिक सशक्तिकरण: यह योजना नए वकीलों को उनके प्रारंभिक वर्षों में जरूरी खर्चों (जैसे किराया, किताबें, यात्रा आदि) में मदद करेगी, जिससे ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी और वे अपने पेशेवर जीवन को आगे बढ़ा सकेंगे।
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न्याय व्यवस्था में सुधार: बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों में वकीलों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी, और इससे न्यायालयों में बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।
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चुनावी संदर्भ: इस फैसले को आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि यह सरकार का एक प्रयास है युवा वर्ग और पेशेवरों को आकर्षित करने का, खासकर जब विपक्ष बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहा है।
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बजट पर असर: इस योजना के तहत प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जो राज्य के बजट में समायोजित किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने इस योजना पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। कांग्रेस और राजद ने इसे "चुनावी जुमला" करार दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, "अब वकीलों को भी लॉलीपॉप? असली मुद्दे जैसे बेरोजगारी और शराबबंदी पर क्या हो रहा है?" वहीं, भाजपा ने इस फैसले को सरकार की "युवा हितैषी" नीति का हिस्सा बताया, जो युवाओं के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
बार काउंसिल ऑफ बिहार के प्रतिनिधियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। एक वरिष्ठ वकील ने कहा, "यह निर्णय लंबे समय से वकीलों के बीच मांग की जा रही थी। इससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के युवा वकील प्रेरित होंगे और उन्हें प्रैक्टिस में अपना स्थान बनाने में मदद मिलेगी।" सोशल मीडिया पर #BiharLawyersStipend ट्रेंड कर रहा है, और युवा वकील अपनी खुशी और समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि और भविष्य की संभावनाएं
यह कदम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किए गए "मुख्यमंत्री निश्चय" कार्यक्रम के तहत रोजगारोन्मुखी योजनाओं का हिस्सा है। इससे पहले, राज्य सरकार ने बेरोजगार ग्रेजुएट्स के लिए 1,000 रुपये का मासिक भत्ता और मजदूरों के लिए 5,000 रुपये एकमुश्त सहायता देने जैसी योजनाएं शुरू की थीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सही तरीके से लागू होती है, तो इससे बिहार में वकीलों की संख्या में वृद्धि होगी और न्याय तक पहुंच आसान होगी। हालांकि, योजना की सफलता के लिए पात्रता सत्यापन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा।
अमृत खबर इस योजना की प्रगति पर नजर बनाए रखेगा और इसके कार्यान्वयन की निगरानी करेगा, ताकि यह वकील समुदाय और न्याय व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सके।

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