नवरात्र 2025 में मां दुर्गा की सही भक्ति विधि पर जोर, जानें पूजा का महत्व और देशभर के आयोजन...
नवरात्र 2025: सही भक्तिविधि और पूजा का महत्व
नवरात्र 2025 का शुभारंभ होते ही देशभर में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना आरंभ हो गई है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व शक्ति की साधना, आत्मशुद्धि और आस्था का अद्भुत संगम है। इस बार धार्मिक विद्वानों और आचार्यों ने विशेष रूप से सही भक्ति विधि पर जोर दिया है, ताकि भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकें। शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्र 2025 पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो चुका है।



मां दुर्गा की पूजा विधि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र में कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशती का पाठ, मंत्रजप और हवन का विशेष महत्व है।
-
पहले दिन कलश स्थापना करके मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है।
-
दूसरे दिन से लेकर नौवें दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
-
अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन कर मां दुर्गा का आशीर्वाद लिया जाता है।
सही भक्ति विधि से मिलने वाले फल
विद्वानों के अनुसार, भक्ति केवल बाहरी अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू मन और आचरण की पवित्रता है।
काशी के धर्माचार्य पंडित विष्णु प्रसाद शुक्ला कहते हैं –
"सही पूजा विधि अपनाने से भक्त को आत्मिक शांति, समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है। नवरात्र का वास्तविक अर्थ है भीतर की नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ना।"
देशभर में नवरात्र उत्सव
इस बार बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा में मंदिरों और दुर्गा पूजा पंडालों में लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए हैं।
-
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा-वृंदावन के प्रमुख शक्तिपीठों में विशेष आयोजन हो रहे हैं।
-
कोलकाता में भव्य दुर्गा पूजा पंडाल सजाए गए हैं, जहां कला और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
-
वैष्णो देवी धाम, कटरा में लाखों श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं।
सर्वोच्च देवी की आराधना
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मां दुर्गा ही सर्वोच्च शक्ति (Supreme God) हैं, जिनकी आराधना से जीवन की कठिनाइयों पर विजय पाई जा सकती है।
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि देवी दुर्गा की सही भक्ति से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं।
नवरात्र और समाजिक संदेश
नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह नारी शक्ति और संस्कृति का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से समाज में सद्भाव, एकता और सकारात्मकता का संदेश फैलता है।
धर्मगुरुओं का मानना है कि सही विधि से की गई भक्ति न केवल व्यक्तिगत जीवन को संवारती है बल्कि सामाजिक संतुलन भी बनाए रखती है।
निष्कर्ष
नवरात्र 2025 का संदेश स्पष्ट है – मां दुर्गा की सही भक्ति विधि अपनाकर ही उनके आशीर्वाद की प्राप्ति संभव है। देशभर में हो रहे आयोजनों ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि यह पर्व केवल परंपरा नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना और सांस्कृतिक चेतना का महोत्सव है।

इस समाचार को साझा करें:
देश की अन्य खबरें
