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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में ऐतिहासिक मील का पत्थर: मुंबई में 5 किमी लंबी सुरंग का निर्माण पूरा, 2027 तक पहला फेज शुरू!

भारत की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना ने एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (MAHSR) के तहत घनसोली और शिल्फाटा के बीच 4.88 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को नवीन मुंबई में इस ब्रेकथ्रू को चिह्नित किया, जहां उन्होंने नियंत्रित डायनामाइट ब्लास्ट के माध्यम से अंतिम खुदाई को पूरा किया। यह सुरंग देश की पहली अंडरसी (समुद्र के नीचे) सुरंग का हिस्सा है, जो इंजीनियरिंग की दुनिया में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है।

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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में ऐतिहासिक मील का पत्थर: मुंबई में 5 किमी लंबी सुरंग का निर्माण पूरा, 2027 तक पहला फेज शुरू!

यह उपलब्धि न केवल परियोजना की गति को दर्शाती है, बल्कि मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में जटिल भूगर्भीय चुनौतियों को पार करने का प्रमाण भी है। बुलेट ट्रेन से मुंबई-अहमदाबाद की 508 किमी दूरी मात्र 2-3 घंटों में तय हो जाएगी, जो वर्तमान 7-8 घंटे के सफर को क्रांतिकारी रूप से बदल देगी। आइए, इस ऐतिहासिक मील के पत्थर के हर पहलू पर विस्तार से नजर डालें – निर्माण तकनीक से लेकर आर्थिक प्रभाव तक। अगर आप मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की लेटेस्ट अपडेट्स या टाइमलाइन की तलाश में हैं, तो अंत तक पढ़ें।

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का सफर: जापान से प्रेरणा, भारत का सपना

मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर भारत का पहला बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट है, जो 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे द्वारा अहमदाबाद में लॉन्च किया गया था। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से विकसित यह परियोजना 1.08 लाख करोड़ रुपये की लागत से 2028 तक पूरी होने वाली है। कॉरिडोर में 12 स्टेशन होंगे – मुंबई (BKC), ठाणे, विरार, बोइसार, दादर, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद सहित।

ट्रेनें 320 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी, जो यात्रा को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाएंगी। लेकिन मुंबई सेक्शन सबसे चुनौतीपूर्ण है: यहां 21 किमी लंबी अंडरग्राउंड सुरंग होगी, जिसमें 7 किमी ठाणे क्रीक के नीचे से गुजरेगी। यह दुनिया की सबसे लंबी अंडरसी सुरंगों में से एक होगी, जो शंघाई मैग्लेव जैसी वैश्विक परियोजनाओं से तुलनीय है।

X (पूर्व ट्विटर) पर #BulletTrainIndia ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स इसे "मेक इन इंडिया" की जीत बता रहे हैं। महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया: "यह उपलब्धि इंजीनियरिंग कौशल का प्रतीक है, जो दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था को नई गति देगी।"

5 किमी सुरंग का निर्माण: NATM तकनीक का कमाल

यह 4.881 किमी लंबी सुरंग बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) से शिल्फाटा तक की 21 किमी अंडरग्राउंड लाइन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। निर्माण मई 2024 में शुरू हुआ और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से किया गया। NATM एक उन्नत तकनीक है, जो चट्टानों की प्राकृतिक मजबूती का उपयोग कर सुरंग को मजबूत बनाती है – पारंपरिक खुदाई से 30% तेज।

मुख्य विशेषताएं:

  • लंबाई और चौड़ाई: 4.881 किमी लंबी, आंतरिक चौड़ाई 12.6 मीटर (दो ट्रैक के लिए)।
  • ब्रेकथ्रू: 9 जुलाई 2025 को पहला 2.7 किमी स्ट्रेच पूरा, अब शिल्फाटा वायडक्ट से जुड़ाव।
  • चुनौतियां: जटिल मिट्टी, भूजल और शहरी घनत्व। सुरक्षा के लिए ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर्स, इंक्लिनोमीटर्स और स्ट्रेन गेज लगाए गए।
  • काम की शुरुआत: तीन फेस में प्रगति, एडिट (Additionally Driven Intermediate Tunnel) का उपयोग।

रेल मंत्री वैष्णव ने कहा, "यह ब्रेकथ्रू भारत के इंजीनियरों की क्षमता दिखाता है। सूरत-बिलिमोरा का 50 किमी स्ट्रेच दिसंबर 2027 में चालू होगा।" शेष 16 किमी सुरंग टनल बोरिंग मशीनों (TBM) से बनेगी, जो 13.1 मीटर व्यास की सिंगल-ट्यूब स्ट्रक्चर होगी।

प्रोजेक्ट की प्रगति: आंकड़ों में बुलेट ट्रेन की रफ्तार

सितंबर 2025 तक, परियोजना ने रिकॉर्ड तोड़े हैं:

  • वायडक्ट: 321 किमी पूरा (कुल 383 किमी)।
  • पियर वर्क: 398 किमी।
  • ट्रैक बेड: 206 किमी।
  • पुल: 17 नदी पुल, 9 स्टील ब्रिज।
  • नॉइज बैरियर: 4 लाख से अधिक।
  • स्टेशन: मुंबई BKC का बेस स्लैब निर्माण जारी; पालघर में 7 माउंटेन टनल पर काम।
  • गुजरात सेक्शन: सूरत-बिलिमोरा 2027 में चालू, अहमदाबाद स्टेशन पर तेज प्रगति।

फुल स्पैन लॉन्चिंग मेथड (FSLM) से वायडक्ट निर्माण 10 गुना तेज हुआ। कुल लागत में केंद्र 10,000 करोड़, महाराष्ट्र-गुजरात प्रत्येक 5,000 करोड़ का योगदान।

पैकेजविवरणप्रगति (सितंबर 2025)C1-C3 (महाराष्ट्र)वायडक्ट, सुरंग70% पूराC4-C8 (गुजरात)स्टेशन, ब्रिज60% पूराटनलिंग21 किमी अंडरग्राउंड23% (5 किमी NATM)ओवरऑल508 किमी कॉरिडोर40%

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: बुलेट ट्रेन कैसे बदलेगी भारत?

यह प्रोजेक्ट सिर्फ परिवहन नहीं, बल्कि आर्थिक क्रांति है। मुंबई, सूरत, वडोदरा-अहमदाबाद को जोड़कर 1.5 करोड़ यात्रियों को सालाना फायदा, जिसमें 5 लाख रोजाना कम्यूटर्स शामिल।

  • समय बचत: 7 घंटे से घटकर 2 घंटे – व्यापार, पर्यटन बढ़ेगा।
  • रोजगार: 20,000 डायरेक्ट जॉब्स, 1 लाख इंडायरेक्ट।
  • पर्यावरण: इलेक्ट्रिक ट्रेनें, कार्बन एमिशन 50% कम।
  • कनेक्टिविटी: पुणे एक्सटेंशन की योजना, दिल्ली-मुंबई HSR से लिंक।

X पर यूजर्स उत्साहित: "9 घंटे का सफर 2 घंटे में! आर्थिक कॉरिडोर बनेगा।" लेकिन चुनौतियां बाकी: भूमि अधिग्रहण पूरी, लेकिन वन्यजीव कॉरिडोर पर फोकस।

भविष्य की झलक: 2027 में पहली रन, 2028 फुल ऑपरेशन

सूरत-बिलिमोरा का 50 किमी स्ट्रेच 2027 में चालू, पूरा कॉरिडोर 2028 में। टिकट बुकिंग बिना रिजर्वेशन, AC ट्रेनें। NHSRCL ने कहा, "यह भारत को हाई-स्पीड रेल हब बनाएगा।"

यह सफलता 'विकसित भारत' का प्रतीक है। क्या आप बुलेट ट्रेन से सफर करने को तैयार? कमेंट्स में बताएं!

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